वाकयाअक्तूबरमहीनेकाहै . शामके४बजेहोंगे . ठण्डकाअहसासहोनेलगाथा . पुलिसमुख्यालयसेलेटर आ चुका था . अगलेदिनबुरहानपुरकेपुलिसवालोंपरएक सर्वे केलिएनिकलनाथा । तीन लोगोंकीटीमथी। इस टीममेंसाथहोनाहमारेलिएकोईनयाअनुभवनहींथा . वैसेभीहमअधिकतरसाथहीरहाकरतेथे । नयाथा तोबुरहानपुरजिसेहमतीनोंकिताबोंमेंपढ़चुकेथे । ढ़ेर सारी बातेंथीइसशहरकीजोरोमांचितकररहीथी । येभीइत्तेफाकथाकेहमतीनोंप्राचीनइतिहासकेछात्ररहचुकेथे । प्राचीनअवशेषोंसेबहुत लगावथा । जैसे-तैसेरातकटीऔरअगलेदिन पैकिंग हो गयी । कुशीनगरएक्सप्रेससेबुरहानपुरपहुंचे।स्टेशन सेशहरमेंप्रवेशऔरप्रवेशद्वारकेदर्शन।येइतवारगेटथा .....
शुरूहोगयीऐतिहासिकयात्रा , जिसमेंप्राचीनइतिहासकेब्रघ्नपुरकोमध्यकालीनइतिहासकेइमारतोंमेंतब्दील हुएदेखरहेथे।अबठहरनेकाबंदोबस्तकरनाथा । टीम के एक साथी को इसशहरकादूसराअनुभवथा । इसलिए हम दोनों उनकेकहेअनुसारहोटलकृष्णमेंगए । जल्द ही एकरूम बुककरकेहमलोगलजीजभोजनकीतलाशमेंनिकलगए । जल्दहीहोटलहकीमपहुंचेजहाँशाकाहारी और मांसाहारीदोनों की व्यवस्था एक ही मेज पर थी । खानाखानेकेबादहमलोगथकेथेइसलिएजल्दहीसोगए । ........
तड़के सुबह तैयार होकर निकल पड़े तत्कालीन एसपी से मिलने । मध्य प्रदेश पुलिस के ऊपर एड्स की जागरूकताके सम्बन्ध में एक सर्वे करना था जिसमें हमें बुरहानपुर पुलिस पर इस अध्ययन का कार्यभार सौंपा गया था ।एसपी ने टीआई को हमारी सुविधा के लिए दिशा निर्देश दे दिया । पहले दिन सर्वे का काम पूरा करके हम शहर मेंघूमने लगे । होटल से निकलते ही जामा मस्जिद के पिछले हिस्से में पहुँच गए ।
ये नगर के बीचोबीच स्थित था । साढ़े 36 मीटर लम्बी मीनारों को 1588-89 फारुखी शासक राजा अली खान नेबनवाया था । तब से लेकर अब तक काले पत्थरों से बने इस मस्जिद ने बुरहानपुर के अनेक रंग देखे । अक्तूबर 2008 में हुए कम्युनल राइट में पूरा शहर दंगे में झुलस रहा था ....
मस्जिद के पीछे दंगे का एक दृश्य ...... कुछ भी हो आज ये गलियां गुलजार थीं । दूर दूर तक दंगे का कोई नामोनिशान नहीं था । शाम करीब ६ बजे का वक्तहोगा । मस्जिद पर नजर पड़ते ही उसमें प्रवेश कर उसे देखने की तीव्र इच्छा हुई ।......
लगभग८मीटरऊँचाऔर३मीटरचौड़ेप्रवेशद्वारसेहमअन्दरगए।शहरकेबीचशहरकेकोलाहलसेदूरबेहद शांत, नीरव ... चाहरदीवारीसेघिराबरामदादिव्य सभागृहजैसाथा।इबादतखानालगभग४८मीटरलम्बाऔर१६मीटरचौड़ाथा।छज्जेपरपुष्पऔरपंखुड़ियोंकीबेहतरीननक्काशीथी .... कुछदेरहमवहीँबैठेरहे।मस्जिदकेनिर्माणकलसेसम्बंधितबातेंहोतीरहीं ....... बातो - बातोंमेंसमयकापताहीनहींचला । मस्जिदकेकिवाड़बंदहोनेकासमयहोगया । जाने से पहले मौलवीसेमुलाकात की ।बेहद नम्र अंदाज में उन्होंने जानकारियां दी। .... हमबहार आ गए ।जैसा की किसी शहर का परिचय उसके खान -पान से भी होता है ।बुरहान कीजलेबीकानामबहुतसुनाथातोखींचलेगयीजलेबीहमेंबीचबाजारमें।खायाऔर ........ क्या ? स्वादकीअभिव्यक्तिशब्दोंमें भलायेमुमकिननहींहै।येतौहीनहोगी। ..... ??? ... जारी
साहित्य से विशेष लगाव के कारण यह ब्लॉग साहित्य को समर्पित करता हूँ ..इसमें कविता , कहानी, संस्मरण , लेख , फीचर , व्यंग्य आदि होंगे . जीवन की कहानी एक फिल्म की तरह परदे पर चलती हुई प्रतीत होती है, जिसमे जिंदगी के लगभग सभी आयामों का समावेश होता है . लेकिन उसे परदे पर लाने के लिए परदे के पीछे एक संघर्ष के साथ ही बहुत सारी बातें होती है जिससे लोग अछूते रह जातें हैं ..इन सच्चाइयों के मनकों को साहित्य के धागे में पिरोकर प्रस्तुत करने की एक कोशिश .........
पत्रकारिता जगत की सेना का एक सिपाही हूँ ....गंगा , जमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित प्रयाग नगरी में अवस्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक एवं परास्नातक की उपाधि प्राप्त की . तदुपरांत अद्भुत भारत की हृदयस्थली मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में परास्नातक की उपाधि के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत .