Wednesday, December 1, 2010
समय
ये सूरज ये चंदा ये तारे ये धरती ,
समय ने बनाया -समय ने बनाया ,
समय ने ही लैला और मजनू बनाया ,
समय ने ही हीर और राँझा बनाया ,
समय ही है जिसने लड़कपन बनाया ,
जवानी बनाई बुढ़ापा बनाया ,
समय का ये चक्कर कि मिलता है कोई ,
बिछड़ता है कोई तड़पता है कोई ,
समय जिसको चाहे गगन से मिला दे ,
समय जिसको चाहे मिटा दे बुझा दे ,
कही सबने अपनी-अपनी कहानी ,
कृष्ण के कहने से गीता है जानी ,
मुहम्मद के कहने से जाना कुरान
समय की कहानी क्या कोई कहेगा ,
ये कब से चला है और कब तक चलेगा.....?..?..?
मेरे बड़े भाई पंकज उपाध्याय द्वारा लिखित
पंकज उपाध्याय , पूर्व प्रेसिडेंट , P.G. College Ghazipur (U.P.)
Posted by
Brijesh Upadhyay
at
12:55 AM
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